( आपका यह व्यवहार जो आप हर सेकंड बदल रहे है क्या आपके भविष्य के लिए सही है ?)
आपको क्या लगता है की इंसान अपनी ज़िन्दगी को हर सेकंड मजाक में ले रहा है ? और इससे क्या नुकसान हो रहा है आपका इस बात का आपमें से कुछ लोगो को अनुमान होगा ?
जो दिमाग हर 8 सेकंड में बदल रहा उसका क्या असर आपके आने वाली ज़िन्दगी पर होगा या अभी आप कितने घिर चुके है अपने आस पास के जीवन से यह आपके लिए जानना बहुत ही जरूरी है। इस लेखन के जरिये आप यह इस बड़ी समस्या का समाधान पा सकेंगे।
आइए पहले समझते है यह समस्या पैदा ही क्यों हो रही है इस स्तर तक।
मैंने इन दिनों हुई एक रिसर्च में पढ़ा था की कैसे इंसान का फोकस एक goldfish के फोकस से भी कम हो गया है। यह रिसर्च की गयी है डॉ. नंद कुमार द्वारा जो की AIIMS अस्पताल में एक Psychiarty है उनकी रिसर्च जाने-माने अखबार (टाइम्स ऑफ़ इंडिया) में भी प्रकाशित हुई है इन्हीं दिनों में । एक प्रसिद्धि कहावत के जरिये, उन्होंने अपनी रिसर्च को समझाने की कोशिश की है। कहा जाता है की “एक सुनहरी मछली की एकाग्रता बहुत कम होती है” और अब पाया जा रहा है की इंसानो की एकाग्रता सुनहरी मछली से भी कम होती जा रही है।
डॉ. कुमार की चिंता का कारण यह है की आज से 10 साल पहले लोगों की एकाग्रता का समय 20 से 30 मिनट का था, जो की अब सिर्फ 8 से 9 सेकंड रह गया है। हम यह एकाग्रता वाली बात को बेहतर तरह से समझ सकते है क्योकि हमारी कोचिंग सरदार पटेल एकडेमी एंड रिसर्च सेंटर में हज़ारों बच्चो को हमने पढ़ाया है जिससे हम बच्चों के चंचल और असिथर मन को बहुत बेहतर तरह से समझते है और ये यकीन के साथ बता सकते है की यह कितना गलत होता है। हर बच्चा अपने भविष्य के साथ खेल रहा है जीवन में एकाग्रता के ना होने के कारण आप कई बदलाव देख सकते है:
यही छोटी-बड़ी चीजें आपका भविष्य बनाती या बहुत ही भयानक तरह से बर्बाद कर देती है। अगर आपको अपना जीवन के हर सेकंड को सही से इस्तेमाल करना है।
हम इस लेखन और डॉ. नन्द कुमार की रिसर्च से समझ पा रहे की, आज की युवा-पीढ़ी कितनी हद तक चंचल है और ना समझ है अपनी चीजों को लेके। यह सब मन भटकना हर पल के बच्चे का उससे सही जगह नहीं ला सकता भविष्य में। जैसे की हमने हमारे कोचिंग में देखा है की कई बार बच्चे Accounting & Finance के कोर्स को बदल कर Digital Marketing या Graphics Designing या और किसी कोर्स का हिस्सा बन जाता है। ये िस्ठरता की निशानी बिल्कुल नहीं है यही चिंता कारण है माँ-बाप की भी। हम हज़ारों कहानी सुनते जहाँ माँ-बाप की चिंता और ग़ुस्से की कहानी उन्हें उनके बच्चों से दूर कर देती है और बहुत समझाना-समझना चलता रहता है।
इस समस्या को हल तभी कर सकते है जब आप खुद पर काम करते है और इसके लिए आपको आज की डिजिटल सुविधाओं का इस्तेमाल सही तरह से करना होगा। अपना जीवन बेहतर करने के लिए डिजिटल काम करो। आप को धैर्य रखने पर ही बेहतर भविष्य मिलगा अपने समय को programming व coding सिखने में लगाये ताकि इससे आप और अपने खुश रहे।